प्लास्टिक पर असमंजस | Responsible use of plastic
प्लास्टिक का इस्तेमाल हम रोजमर्रा के कामों में धड़ल्ले से करते आए हैं। प्लास्टिक के अंधाधुंध इस्तेमाल से आज पर्यावरण खतरे में है। दुनिया भर में हर साल लाखों टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है। इसमें सिर्फ 9 फीसदी ही रिसायकल होती है। 12 फीसदी जला दी जाती है और ये हमारी हवा को ज़हरीला बनाती है जबकि unnasi (79) फीसदी इधर उधर बिखर कर हमारे पर्यावरण को दूषित करती है। प्लास्टिक ने जीवन को सुगम बनाया है, लेकिन पर्यावरण के लिए खतरा भी पैदा किया है। इसका सबसे बुरा प्रभाव समुद्री जीव-जंतुओं पर पड़ रहा है। अगर प्लास्टिक का सही से निपटारा नहीं किया गया तो 2050 तक हमारे आसपास 1 अरब 20 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा जमा हो जाएगा। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने भी प्लास्टिक के इस बढ़ते इस्तेमाल के प्रति आगाह किया है। उपराष्ट्रपति का कहना है कि प्लास्टिक का बढ़ता प्रयोग आधुनिक विकास की दुविधा है। पिछले 50 साल में प्लास्टिक का प्रयोग दुगुना हुआ है , जो अगले 20 साल में फिर दुगुना हो सकता है। सबसे अधिक प्लास्टिक उपयोग करने वाले विश्व के देशों में भारत का पांचवा स्थान है। देश में हर साल प्रति व्यक्ति प्लास्टिक प्रयोग करीब 13 किलोग्राम है। उपराष्ट्रपति ने धरती को खुशहाल बनाए रखने के लिए प्लास्टिक के विवेकपूर्ण इस्तेमाल की नसीहत दी है। प्लास्टिक के सही इस्तेमाल को लेकर जनता के बीच जागरूकता बढ़ाए जाने की जरुरत है।