विटामिन-डी की कमी से 15 फीसदी बच्चों में बढ़ा मोटापा

  • 29/07/2013

  • Dainik Bhaskar (New Delhi)

जयपुर। विटामिन-डी की कमी के चलते न केवल मोटापा बल्कि स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याओं का खतरा बढ़ता जा रहा है। जयपुर समेत अजमेर, कोटा, उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर शहर के 6 से 16 साल तक की उम्र के 15 प्रतिशत ब\'चे मोटापे के शिकार हैं, जिसमें से 10 फीसदी बच्चों में विटामिन-डी की कमी देखी गई है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले 5 वर्षों में यह संख्या बढ़कर दोगुनी हो जाएगी। मोटे बच्चों में विटामिन-डी कमी का अधिक खतरा होता है, क्योंकि वे अपनी जमा वसा में से विटामिन-डी लेते हैं, जिससे रक्त में इसका इस्तेमाल बाधित होता है। मानव शरीर के संपूर्ण स्वास्थ्य और क्रियाशीलता के लिए विटामिन-डी सबसे महत्वपूर्ण है। यह खुलासा इंडियन एकेडेमी ऑफ पीडियाट्रिक्स द्वारा जारी किए गए देशभर के आंकड़े, सर्वे एवं रिपोर्ट के आधार पर किया है। इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आईएपी) के डॉ. निश्चल भट्ट ने बताया कि विटामिन-डी का उपयुक्त स्तर बनाए रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मानव शरीर के 25,000 जीन्स में से लगभग 3,000 जीन्स को प्रभावित करता है। पर्याप्त मात्रा में विटामिन-डी रहने से न केवल खराब कोलेस्ट्रॉल को कम रखने में मदद मिलता है, बल्कि अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में भी मदद मिलती है। डॉ.भट्ट का कहना है कि अगर आपका बच्चा दिखने में तंदुरूस्त है, तो इस गफलत में नहीं रहे कि वह स्वस्थ भी होगा। शोध में मोटे बच्चों में खून की कमी देखी गई है। ऐसे हो जाती है कमी पर्याप्त मात्रा में सूर्य का प्रकाश नहीं मिलना, क्योंकि ब\'चे घरों के भीतर ही टीवी-इंटरनेट पर वक्त बिताते हैं। खुले मैदान में नहीं खेलते। नतीजा, उनका शारीरिक श्रम नहीं होता। वे फिट नहीं रह पाते। विटामिन-डी वसा में घुलनशील है। शरीर की अतिरिक्त वसा विटामिन-डी को रक्त परिसंचरण से बाहर निकाल लेती हैं और इस प्रकार विटामिन-डी की कमी होती है। शरीर को मिलने वाला 75 प्रतिशत विटामिन-डी हमारी त्वचा के सूर्य के प्रकाश (विशेषकर अल्ट्रावायलेट-बी किरणों) के संपर्क में आने से प्राप्त होता है। विटामिन-डी की कमी के लक्षण त्वचा पर दिखने लगते हैं। सूर्य का प्रकाश पर्याप्त मात्रा में मिलने के बावजूद, खानपान की गलत आदतों और कुपोषण के चलते भी विटामिन डी की कमी हो सकती है।