भारत सहित जी-77 देशों का वॉक आउट
-
20/11/2013
-
Dainik Bhaskar (Jaipur)
पिछले नौ साल में इस कॉन्फ्रेंस में वॉक आउट की घटना पहली बार हुई है। विकासशील देशों का कहना है कि ड्राफ्ट की बातें यूएनएफसीसीसी के प्रावधानों से मेल नहीं खातीं। इन देशों ने सीओपी 19 कॉन्फ्रेंस छोड़ देने तक की धमकी दी है। वहीं, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के अमीर देशों ने फिलहाल किसी बदलाव के लिए साफ मना कर दिया है। यूरोपियन यूनियन के देश लॉस एंड डैमेज के मुद्दे पर सीओपी 19 कॉन्फ्रेंस में बात करने के पक्ष में नहीं हैं।
भारत व चीन समेत जी-77 देशों के प्रतिनिधियों ने बुधवार को क्लाइमेट चेंज की बैठक से वॉक आउट कर दिया। ये देश एक ड्राफ्ट से असहमत थे। यह विकासशील-अविकसित देशों में एक्सट्रीम वेदर इवेंट्स के कारण हो रही तबाही व उसके मुआवजे (लॉस एंड डैमेज) के मेकेनिज्म पर था। पोलैंड की राजधानी वारसॉ में इन दिनों जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर सम्मेलन चल रहा है। यह यूनाइटेड नेशन्स फ्रेमवर्क कन्वेंशन फॉर क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) की 19वीं कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी19) है।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने बताया कि हम जी-77 देशों का हिस्सा हैं। इन देशों ने मीटिंग में जो कदम उठाया है उसका हम समर्थन करते हैं। वे खुद कॉन्टेक्ट मीटिंग में शामिल नहीं थीं। लेकिन उन्होंने बताया कि इसमें रखा गया ड्राफ्ट यूएनएफसीसीसी के उद्देश्यों से मेल नहीं खाता। भारत भी एक्सट्रीम वेदर इवेंट के कारण लगातार कोई न कोई नुकसान उठा रहा है। उत्तराखंड त्रासदी और तूफान पाइलीन इसके उदाहरण हैं।
क्या चाहते हैं जी-77 देश
क्लाइमेट चेंज के मुद्दे पर जी-77 देशों का कहना है कि बीते दशकों में विकसित देशों ने पर्यावरण की कीमत पर विकास किया है। इसीलिए दुनियाभर में एक्सट्रीम वेदर इवेंट (तूफान, बाढ़, सूखा आदि) देखने को मिल रहे हैं। विकसित देश तो इन आपदाओं से जल्द उबर जाते हैं लेकिन गरीब और विकासशील देश ऐसा नहीं कर पाते। इसी मुद्दे पर लॉस एंड डैमेज के तहत इन देशों को पुनर्निर्माण और बचाव कार्यों के लिए विकसित देश मुआवजा दें। लेकिन मंगलवार को हुई इनफॉर्मल कॉन्टेक्ट मीटिंग के दौरान लॉस एंड डैमेज पर आए ड्राफ्ट में इसका जिक्र नहीं था।